साइबर ठगी के मामलों पर नियंत्रण के लिए पुलिस अब और सख्ती करने जा रही है। पुलिस अब तक ठगी करने वाले अपराधियों को पकड़ रही थी। मगर, अब डाटा लीक या चोरी करने वालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
पुलिस अब ऐसी कंपनियों और एजेंसियों को भी साइबर ठगी का आरोपित बनाएगी, जिनसे लीक हुए डाटा की मदद से उपभोक्ता से ठगी हुई है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में साइबर क्राइम सेल ने ठगी के मामलों में जिन आरोपितों को पकड़ा है, उनसे पूछताछ में यह बात सामने आई है कि उन्हें यह डाटा डार्कवेब के जरिए मिला है।
कंपनी के कर्मचारी ही चुराते हैं डाटा
बताते चलें कि इंटरनेट का वह हिस्सा, जहां लोग पहचान और लोकेशन छुपाकर अवैध काम करते हैं, उसे डार्क वेब कहा जाता है। पुलिस की पड़ताल में यह भी सामने आया कि डार्कवेब पर डाटा उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों के सर्वर को हैक कर पेशेवर हैकर उपभोक्ताओं की निजी जानकारी चुरा रहे हैं।
कई मामलों में कंपनी का ही कोई कर्मचारी यह डाटा चुराकर बेच देता है। चोरी किया गया यह डाटा 35 से 50 रुपये में प्रति उपभोक्ता के रेट पर डार्कवेब में बेचा जा रहा है। पुलिस का मानना है कि अगर कंपनियां डाटा की सुरक्षा के प्रति सजग रहें, तो ऐसी चोरी रोकी जा सकी है।