शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में नींद से जागृत होते हैं। इस दिन से मांगलिक कार्य का भी शुभारंभ होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार देवउठनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा हैं। देवउठनी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी मैया का विवाह का विधान है इसके लिए गन्ने का मंडप बनाया जाता है।
पर्व को लेकर शहर में कचहरी चौक के पास गन्नो की कतार लग गई है। इसे प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है। तुलसी चौरा के सामने शालीग्राम की मूर्ति रखकर गन्नो का मंडप बनाया जाता है। घर की चौखट के चारों ओर दीप जलाकर अमरूद, सिंघाड़ा, केला, सेव फल आदि भगवान को समर्पित कर तुलसी विवाह कराया जाता है।